Life of Satguru Baba Hardev Singh Ji Maharaj

Rohit Kumar
4 min readJun 1, 2021

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इस भाग दौड़ की दुनिया में सब अपने काम में व्यस्त है, इस बीच कोई विरला ही होता है जो इन सब से परे

होता है | और ऐसा ही शांत, घंभीर और मुक्त रूहानी सागर देखने को मिले सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी महाराज |

सतगुरु बाबा हरदेव सिंह जी का जन्म

Satguru Baba Hardev Singh JI Birth

बाबा हरदेव सिंह जी का जन्म 23 फरवरी 1954 को दिल्ली में बाबा गुरबचन सिंह और कुलवंत कौर के घर हुआ था। कहते है बच्चे का वैसा नाम रखे जैसा उसका चरित्र हो लकिन बाबा जी का तो नाम ही उनका चरित्र बन गया भोला बचपन में बाबा जी को सब भोला कहकर बुलाते थे |

महा पुरषो सत्संग का एक वीडियो है गुरु पूजा दिवस का मैं चाहूंगा की आप भी देखे गुरु पूजा दिवस

सतगुरु बाबा जी का जीवन

सतगुरु बाबा जी बचपन से ही शांत सवभाव के व्यक्ति थे | उनका सभी की बाते सुनकर आपने जीवन में ढालना, पिता के हर वचन को सर झुका कर सतगुरु का वचन मानना और स्कूल में भी सभी छात्रों की मदद करना खुद भूका रहकर दुसरो का पेट भरना यही बाते है जो उन्हें औरो से अलग करती है और दिखाती है एक भगवान के जीवन को | अपनी स्कूल की आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने पटयाला के यादविंद्र पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया |

एक बारबस राजपुरा से बस पर जाते हुए सतगुरु बाबा जी ने देखा की एक बुजुर्ग बस में खड़े होकर जा रहा है तो

उन्होंने अपनी सीट देकर खुद बस में लटक कर और बस छत पर चढ़कर सफर तय किया |

कभी दोस्ती निभानी हो या कभी किसी की मदद करनी हो बाबा जी ने कभी भी जताया या व्यक्त नहीं किया सिर्फ अपना फ़र्ज़ पूरा करते हुए काम को करते गए बिना किसी शिकायत के | अगर किसी को पैसो की जरुरत होती तो ही किसी अनजान के द्वारा उस व्यक्ति को पैसे पहुंचाते ताकि लेने वाले को छोटा महसूस ना हो | अपनी खुद की गाडी होते हुए भी वे रिक्शा पर जाते जब कभी भी बाबा जी को रिक्शा पर जाते तो वे आधे रस्ते खुद रिक्शा चलाते जब उन्हें कोई देख न रहा हो और भवन से पहले उस व्यक्ति को रिक्शा वापिस दे देते ताकि उस वयक्ति पर कोई बात न आये और उनकी सेवा भी हो जाए |

आगे चलकर बाबा जी का दाखिला एयर फाॅर्स स्कूल दिल्ली में करवा दिया गया | एक बार स्कूल जाते समय गाडी खराब हो तो बाबा जी ने खुद गाडी को धक्का लगाकर गाडी शुरू की और स्कूल पहुंचे, और इस घटना के बाद तो ये सिलसिला ही बन गया फिर साथ आये महापुरषो ने इसका जिक्र बाबा गुरुबचन जी करना चाहा तो बाबा जी ने कहा की लाखो लोगो के पास तो गाड़ी भी नहीं है मै कोई अलग थोड़ी न हूँ, बस बाबा जी की यही बात बात उन्हें औरो से अलग बनती है |

सेवा

बाबा जी ने सत्संगऔर पढाई के साथ- साथ सेवा में भी भरपूर योगदान दिया, वैसे तो बाबा जी को संचालन बना दिया गया लकिन सभी काम अपने हाथो किया और उन्हें ये करना पसंद भी था| एक बार की बात है लंगर के बाद सभी महात्मा के चले जाने के बाद बाबा जी ने देखा की सभी बर्तन भिखरे पड़े है तो उनोन्हे सभी बर्तनो को जमा किया और ठेले पर लादा और और खुद ठेला चलाकर बर्तनो को पहुंचाया |

और जब मिशन को आगे भड़ाने के लिए बाबा जी से पढाई छोड़ने को कहा गया तो पढाई में रूचि होते हुए भी उन्होंने यनिवर्सिटी की पढ़ाई त्याग दी और मिशन के काम में लग गए |

जहा एक तरफ पूरी दुनिया को अपनी भाग दौड़ में समय नहीं मिलता वहां दूसरी तरफ दूसरी तरफ बाबा जी ने अपनी चिंता किये बिना बिना किसी को बताये बिना हरदम बस सेवा करते रहना सच में इनकी स्क्ष्यत का कोई वजूद ही नहीं है | और जब बाबा जी से सादी के बारे में पूछा गया कहा की

सतगुरु तो सृस्टि के फैसले लेता है तो मेरी जिंदगी के फैसले मै कैसे ले सकता हू जो इन्हे मंजूर है वो मुझे कबूल है

और फिर बाबा गुरुबचन सिंह जी ने बाबा हरदेव सिंह जी की तरह एक कर्मठ और उदार जीवन साथी चुना माता सविंदर जी | शादी के बंधन में अपने हर कर्तव्य को भकुभि निभाते हुए बाबा जी ने एक गुरुसिख की मर्यादा भी खूब निभाई |

फिर एक दिन पुरे संसार के लिए मुश्किल घडी आन पड़ी जब बाबा गुरुबचन सिंह जी का का देहांत हुआ और बाबा जी के कंधो पर मिशन की बड़ी जिम्मेदारी आ गयी एक तरफ पूरा संसार रो रहा था वह दूसरी तरफ बाबा जी के कंधो पर आयी जिम्मेदारी ने उन्हें रोने तक नहीं दिया | और फिर बाबा जी अपने विराट सवरूप दिखाते हुए बरसो के अपने मौन को तोडा और मिशन को आगे भड़ाते हुए गद्दी पर बैठे तो लाखो की संख्या में लोगो को जीने की उम्मीद नजर आई और उस उम्मीद का नाम था बाबा हरदेव सिंह जी महाराज |

दिन में बाबा जी सत्संग करते और रात में बैठकर भक्तो द्वारा दी गई चिट्ठी को पढ़ते और निरंकार से पार्थना करते|

पुरे दिन सत्संग करके अपने भक्तो से मिलने जाते और उनकी समस्या दूर करते |और जो भी भक्त श्रद्धा से से भोग लगाते उसे ले लेते |

आपने इंसान को इसकदर जोड़ने के साथ-साथ इस कुदरत को भी खूबसूरत बनाया सच मेंआपकी उदारता का कोई जवाब नहीं |

Originally published at https://www.santnirankariblogs.site.

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